सरकारी स्कूलों पर बढ़ा अभिभावकों का भरोसा
हिमाचल में अभिभावकों का सरकारी स्कूलों की पढ़ाई के प्रति भरोसा बढ़ रहा है। सरकार की गुणवत्ता लाने के लिए चलाई जा रही योजनाओं के धरातल पर उतरने से निजी स्कूलों के प्रति मोह घटने लगा है। हिमाचल में एक साल में सरकारी स्कूलों का ड्राप आउट आंकड़ा 30 हजार से घटकर महज 540 पर पहुंच गया है।
प्री प्राइमरी कक्षाएं, इंग्लिश लैब, स्मार्ट यूनिफार्म शुरू होनेे से पहली से दसवीं कक्षा में विद्यार्थियों की संख्या 4652 बढ़ गई है। हालांकि, ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा में 5192 विद्यार्थियों का सरकारी स्कूल छोड़ना चिंतनीय है। सरकार को इस क्षेत्र में अभी और अधिक काम करने की जरूरत है। शैक्षणिक सत्र 2018-19 के जारी हुए यू डाइस डाटा में इसका खुलासा हुआ है।
बीते कई सालों से सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या घटती जा रही है। साल 2017 के मुकाबले 2018 में सरकारी स्कूलों से तीस हजार से अधिक विद्यार्थी कम हो गए थे। सितंबर 2017 में पहली से जमा दो कक्षा तक पढ़ने वाले विद्यार्थियाें की संख्या 8.54 लाख थी, जो जून 2018 में घटकर 8,24613 लाख पहुंच गई थी। तीस हजार बच्चों के सरकारी स्कूल छोड़ने पर जागी सरकार ने बीते एक साल के दौरान इनरोलमेंट बढ़ाने के लिए कई योजनाएं शुरू की।
स्कूलों में जेबीटी और टीजीटी की कमी दूर की। कई स्कूलों में अंग्रेजी मीडियम शुरू किया। प्री प्राइमरी कक्षाएं शुरू कर सरकार ने निजी स्कूलों को कड़ी टक्कर दी। नर्सरी और केजी शुरू होने से अब अधिकांश बच्चे पहली कक्षा में भी सरकारी स्कूलों में दाखिला ले रहे हैं। पहले नर्सरी-केजी निजी स्कूलों में होने से बच्चे सरकारी स्कूलों की ओर नहीं आते थे। आंगनबाड़ी केंद्र इस कमी को पूरा नहीं कर पा रहे थे।
इन योजनाओं के चलते ही अब नवंबर 2019 में जारी हुए यू डाइस डाटा में पहली से जमा दो कक्षा तक पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या 8,24073 पहुंच गई है। महज 540 विद्यार्थी ही साल 2018-19 के दौरान स्कूलों को छोड़कर गए हैं।
प्री प्राइमरी कक्षाएं, इंग्लिश लैब, स्मार्ट यूनिफार्म शुरू होनेे से पहली से दसवीं कक्षा में विद्यार्थियों की संख्या 4652 बढ़ गई है। हालांकि, ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा में 5192 विद्यार्थियों का सरकारी स्कूल छोड़ना चिंतनीय है। सरकार को इस क्षेत्र में अभी और अधिक काम करने की जरूरत है। शैक्षणिक सत्र 2018-19 के जारी हुए यू डाइस डाटा में इसका खुलासा हुआ है।
बीते कई सालों से सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या घटती जा रही है। साल 2017 के मुकाबले 2018 में सरकारी स्कूलों से तीस हजार से अधिक विद्यार्थी कम हो गए थे। सितंबर 2017 में पहली से जमा दो कक्षा तक पढ़ने वाले विद्यार्थियाें की संख्या 8.54 लाख थी, जो जून 2018 में घटकर 8,24613 लाख पहुंच गई थी। तीस हजार बच्चों के सरकारी स्कूल छोड़ने पर जागी सरकार ने बीते एक साल के दौरान इनरोलमेंट बढ़ाने के लिए कई योजनाएं शुरू की।
स्कूलों में जेबीटी और टीजीटी की कमी दूर की। कई स्कूलों में अंग्रेजी मीडियम शुरू किया। प्री प्राइमरी कक्षाएं शुरू कर सरकार ने निजी स्कूलों को कड़ी टक्कर दी। नर्सरी और केजी शुरू होने से अब अधिकांश बच्चे पहली कक्षा में भी सरकारी स्कूलों में दाखिला ले रहे हैं। पहले नर्सरी-केजी निजी स्कूलों में होने से बच्चे सरकारी स्कूलों की ओर नहीं आते थे। आंगनबाड़ी केंद्र इस कमी को पूरा नहीं कर पा रहे थे।
इन योजनाओं के चलते ही अब नवंबर 2019 में जारी हुए यू डाइस डाटा में पहली से जमा दो कक्षा तक पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या 8,24073 पहुंच गई है। महज 540 विद्यार्थी ही साल 2018-19 के दौरान स्कूलों को छोड़कर गए हैं।
ग्यारहवीं, बारहवीं पर ध्यान देने की जरूरत
कक्षा साल 2018 साल 2019 अंतर
पहली से पांचवीं 295428 298210 2782
छठी से दसवीं 371040 372910 1870
जमा एक, जमा दो 158145 152953 - 5192
कुल 824613 824073 - 540
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